डिजिटल प्रणालियाँ (Digital Systems) क्या है?
नमस्कार दोस्तो कैसे हो आप सब, उम्मिद करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं डिजिटल प्रणालियाँ (Digital Systems) क्या है। तथा प्रणाली के अतिरिक्त कुछ अन्य संख्या प्रणाली भी जानेंगे तथा डिजिटल प्रणालियाँ (Digital Systems) जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे। तो आइए हम शुरू करते हैं।
डिजिटल प्रणालियाँ (Digital Systems)
कम्प्यूटर केवल उन इन्स्ट्रक्शन को स्वीकार करता है जो बाइनरी पद्धति अर्थात् ‘ 0 ‘ एवं ‘ 1 ‘ में लिखी जाती हैं । अतः कम्प्यूटर को डाटा एवं इन्स्ट्रक्शन ‘ 0 ‘ एवं ‘ 1 ‘ के रूप में दी जाती है । डेसीमल प्रणाली से हम अच्छी प्रकार परिचित हैं जिसमें 0 , 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 तथा 9 अंक प्रयुक्त किये जाते हैं ।
डेसीमल प्रणाली के अतिरिक्त कुछ अन्य संख्या प्रणाली भी हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
- बाइनरी संख्या प्रणाली ( Binary number system )
- ऑक्टल संख्या प्रणाली ( Octal number system )
- हैक्सा डेसीमल संख्या प्रणाली ( Hexadecimal number system )
विन्दु डेसीमल संख्या प्रणाली हमारे दैनिक जीवन में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है । डेसीमल प्रणाली में लिखी गई प्रत्येक संख्या के प्रत्येक अंक का अपना एक स्थानीय मान ( weight ) होता है । इसे गुणांक ( multiplying factor ) भी कहते हैं । गुणक हजार ( thousands ) , सैकडा ( hundreds ) दहाई ( tens ) तथा इकाई ( Units ) इत्यादि होते हैं ।
इसी प्रकार 1 से कम मान की संख्याओं को प्रदर्शित करने के लिये अंक , दशमलव ( radix point ) के दायीं तरफ में लिखे जाते हैं तथा इसके स्थानीय मान ( weight ) क्रमशः इत्यादि से गुणा करने पर प्राप्त किये जा सकते 1 / 10 ‘ 1 / 100 ‘ 1 / 1000 हैं । जैसे डेसीमल संख्या 4343.95 को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है
(4343.95)10 = 4 x 103 + 3 × 102 + 4 x 101 + 3 x 100 + 9 x 10-1 + 5 x 10-2
उपरोक्त उदाहरण में 4 को उसके स्थानीय मान ( position value ) एक हजार ( 103 ) से , 3 को सौ ( 102 ) से , 4 को दस ( 101 ) से एवं 3 को एक ( 100 ) से गुणा किया गया है । इसी प्रकार भिन्नात्मक भाग में 9 को 1/10 अर्थात् 10-1 से एवं 5 को 1/100 अर्थात् 10-2 से गुणा किया गया है ।
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रेडिक्स प्वाइन्ट ( radix point )
प्रत्येक प्रणाली में जोड़ने , घटाने , गुणा करने तथा भाग देने के नियम होते हैं । इन अंकों का समूह संख्या कहलाता है । संख्या के दो भाग होते हैं- ( i ) पूर्णांक ( integer ) तथा दूसरा ( ii ) भिन्नात्मक ( fractional ) । पूर्णांक (integer) तथा भिन्नात्मक भाग एक पूर्णांक बिन्दु ( . ) द्वारा अलग होते हैं । इस बिन्दु को “रेडिक्स प्वाइन्ट ( radix point )” कहते हैं ।
उदाहरणतः- यदि एक संख्या में m भिन्नात्मक अंक तथा b रेडिक्स है , तब यह संख्या ( N ) निम्न प्रकार लिखी जा सकती है।
( N )b = dn-1dn-2 ………………. d0 . d-1d-2d-3 ………. d-m
जहाँ N = एक संख्या
b = रेडिक्स अथवा प्रणाली की आधार संख्या
पूर्णांक भाग में अंकों की संख्या
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भिन्नात्मक भाग में अंकों की संख्या
dn-1 = Most significant digit ( msd )
d-m = Least significant digit ( Isd )
विभिन्न प्रणालियों में किसी संख्या ( N ) को निम्न प्रकार भी प्रदर्शित किया जा सकता है
उदाहरणत :- डेसीमल संख्या 4343.95 में
रेडिक्स b = 10 d-1 = 9
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do = 3 d-2 = 5
d1 = 4 तथा
d2 = 3 n = 4
d4 = 4 m = 2
अतः ( 4343.95 )10 = 4 × 103 + 3 x 102 + 4 × 101 + 3 × 100 + 9 × 10-1 + 5 x 10-2
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