नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि प्रत्यावर्ती धारा एवं वोल्टेज समीकरण (Equation of alternating current and Voltage) क्या होती है? एवं हम यह भी जानेंगे कि आयाम, आवृत्ति तथा आर्वतकाल क्या होता है? तथा प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान कैसे ज्ञात करते हैं? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
प्रत्यावर्ती धारा एवं वोल्टेज समीकरण (Equation of alternating current and Voltage)
प्रत्यावर्ती धारा का तात्क्षणिक मान (instantaneous value) प्रत्येक क्षण बदलता रहता है तथा परिपथ में इसका प्रभाव ज्ञात करने के लिए वर्ग माध्य मूल (root mean square) मान को प्रयुक्त किया जाता है।
प्रत्यावर्ती धारा उत्पादन के लिए प्रत्यावर्तक प्रयुक्त किया जाता है। एक सरलतम व्यवस्था में किसी कुंडली को एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाने पर प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न की जा सकती है। चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली के लगातार घूमने से कुंडली से ग्रंथित फ्लक्स ग्रंथियों की संख्याओं में परिवर्तन होता है। जिसके कारण फेराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम के अनुसार कुंडली में वि. वा. बल प्रेरित होता है।
यदि कुंडली के तल का क्षेत्रफल A, तथा उसमें वर्तनों की संख्या N है तब चुंबकीय क्षेत्र B में, कोणीय वेग ω से कुंडली को घुमाने पर प्रेरित विद्युत वाहक बल –
e = NBAωsinωt ————- (1)

यहां e विद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान है। समीकरण से स्पष्ट है कि विद्युत वाहक बल का मान समय t के साथ परिवर्तित होता है।
समीकरण में sinωt का अधिकतम मान 1 हो सकता है। अत: कुंडली में प्रेरित अधिकतम वोल्टेज –
Emax = NBAω—————– (2)
समीकरण में NBA =Emax रखने पर प्रत्यावर्ती धारा की समीकरण-
e = Emax sinωt —————— (3)
वोल्टेज का अधिकतम मान (peak value or maximum value or Crest value) अथवा शिखर मान कहलाता है।
इसी प्रकार किसी परिपथ में ए. सी. वोल्टेज प्रयुक्त करने पर प्रवाहित धारा भी समय के साथ परिवर्तित होगी। ए. सी. परिपथ में धारा प्रयुक्त अवयवों (प्रतिरोध, प्रेरक एवं धारियां) पर निर्भर करती है। सामान्य रूप से t सेकेंड पर किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का रूप निम्नलिखित होता है।
i = Imax sinωt ——————— (4)
यहां Imax परिपथ में प्रवाहित होने वाली अधिकतम धारा है। यदि किसी परिपथ में वोल्टेज एवं धारा समीकरण (Equation of alternating current and Voltage) (1) तथा (3) के अनुसार हो तब वोल्टेज तथा धारा वक्र निम्न चित्र की भांति प्रर्दशित किया जा सकता है।

आयाम (Amplitude) –
प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान (Emax तथा Imax) को धारा का आयाम कहते हैं।
आवर्त काल (Time Period) –
चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली के परिभ्रमण के एक चक्कर में धारा शून्य से अधिकतम, अधिकतम से शून्य तथा पुनः विपरीत दिशा में अधिकतम तथा पुनः शून्य होती है। इस संपूर्ण चक्र में व्यय समय धारा का आवर्त काल कहा जाता है। यदि कुंडली का कोणीय वेग ω हो तब एक परिभ्रमण में लिया गया समय अर्थात् आवर्त काल
T = 2π\ω
आवृति (Frequency) –
एक सेकेंड में प्रत्यावर्ती धारा द्वारा पूर्ण किए गए चक्रों की संख्या धारा (cycles/second) की आवृत्ति कहलाती है। सामान्यत: आवृत्ति, कुंडली द्वारा एक सेकेंड में किये गये परिभ्रमणों की संख्या के बराबर होती है अर्थात् आवृत्ति
f = 1/T
= ω/2π
अत: ω = 2πf
प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान (Average value of AC)
प्रत्यावर्ती धारा के पूर्ण चक्र औसत मान शून्य होता है। धारा का अर्धचक्र मैं औसत मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –

प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान (Root mean Square value of AC)
यह प्रत्यावर्ती धारा का प्रभावी मान है। यह निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –

प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान दिष्ट धारा के उस मान के बराबर है जिसके द्वारा किसी प्रतिरोध में उतनी ही दर से ऊष्मा उत्पन्न होती है जितनी की प्रत्यावर्ती धारा में होती है।
कला एवं कालान्तर (Phase and Phase difference)
समीकरण e = Emax sinωt में ωt वोल्टेज की कला को प्रदर्शित करता है इसी प्रकार समीकरण e1 = Emax sin (ωt + @) में (ωt + @) वोल्टेज की कला को प्रदर्शित करता है। यदि यह दोनों क्रमशः @1 तथा @2 द्वारा प्रदर्शित की जायें तब दोनों वोल्टताओं में कलांतर –
Φ1 – Φ2 = (ωt + Φ ) – (ωt) = Φ
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