
डी.सी. मोटर की गति नियन्त्रण कैसे करें? (How to Speed control of DC Motor in hindi)
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम जानेंगे कि डी.सी. मोटर की गति को नियंत्रित (Speed control of DC Motor) कैसे किया जाता है? तथा कितने प्रकार से मोटर की गति को नियंत्रित किया जा सकता है? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
दिष्ट धारा मोटर की गति समीकरण
Eb = ΦZNP/60A
Eb ∝ NΦ
N ∝ Eb/Φ
N ∝ (V – IaRa)/Φ
यह डी. सी. मोटर की गति समीकरण कहलाती है।
चाल नियमन के द्वारा गति नियन्त्रण (Speed control of DC Motor by Speed Regulation)
= (No – NL) × 100/No
No = शून्य भार (No load) पर गति
NL = पूर्ण भार की गति
गति समीकरण के अनुसार मोटर की गति तीन विधियों द्वारा नियन्त्रित की जा सकती है।
क्षेत्र नियन्त्रण के द्वारा गति नियन्त्रण (Speed control of DC Motor by Flux control)
यह विधि मुख्यत: मोटर को निर्धारित गति से अधिक गति पर ऑपरेट करने के लिए प्रयुक्त की जाती है क्षेत्र परिपथ में प्रतिरोध (Rh) संयोजित करने से फ्लक्स का मान कम होता है तथा मोटर की गति बढ़ जाती है।

आर्मेचर या रियोस्टेटिक विधि के द्वारा गति नियन्त्रण (Speed control of DC Motor by Armature Contol)
आर्मेचर के श्रेणी क्रम में प्रतिरोध लगाने से IaRa का वोल्टपात बढ़ता है तथा मोटर की गति कम होती है। इस विधि में प्राय: क्षेत्र फ्लक्स स्थिर रहता है अत: एक विशेष आर्मेचर धारा पर गति परिवर्तित करने से आर्मेचर का बलाघूर्ण (Torque) परिवर्तित नहीं होता। गति कम होने के साथ मोटर की आउटपुट शक्ति कम हो जाती है तथा मोटर की दक्षता भी (निम्न गति पर) कम हो जाती है।
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वोल्टेज कन्ट्रोल के द्वारा गति नियन्त्रण (Speed control of DC Motor by Voltage Control)
आर्मेचर के टर्मिनलों पर परिवर्तित वोल्टेज प्रयुक्त कर गति नियंत्रण की सबसे अधिक प्रचलित विधि वार्ड लियोनार्ड नियंत्रण विधि है।
वार्ड लियोनार्ड कन्ट्रोल के द्वारा गति नियन्त्रण (Speed control of DC motor by Ward Leonard Control)
इस विधि में मोटर के आर्मेचर को एक separately excited generator से दी जाती है। जनरेटर को स्थिर गति पर प्रचलित किया जाता है तो धारा उसकी क्षेत्र धारा परिवर्तित कर जनित वोल्टेज इस परिवर्तित की जाती है जिसे मोटर के आर्मेचर के पार्श्व में प्रयुक्त किया जाता है। मोटर के क्षेत्र को सेपेरेटली एक्साइड विधि द्वारा उत्तेजित किया जाता है जिससे की आर्मेचर पर प्रयुक्त की जा रही परिवर्ती वोल्टेज का क्षेत्र फ्लक्स पर प्रभाव न हो।
मोटर की गति की दिशा परिवर्तित करने के लिए जनरेटर की क्षेत्र धारा की दिशा परिवर्तित की जाती है जिसके फलस्वरूप जेनरेटर में उत्पन्न वोल्टेज की ध्रुवता उलट जाती है तथा मोटर पर यही वोल्टेज प्रयुक्त किये जाने पर मोटर के घूमने की दिशा भी परिवर्तित हो जाती है।
M1 = प्राइम मूवर मोटर
G = सेपेरेटली एक्साइटिड जेनेरेटर
M = मोटर जिसकी गति नियंत्रित करनी है।
इस विधि में प्रयुक्त उपकरणों की संख्या अधिक होने के कारण मुल्य काफी अधिक होता है अतः इसका प्रयोग विशेष कार्यों के लिए किया जाता है जैसे कोयला खान जहां पर सुरक्षा की दृष्टि से मोटर का गति नियंत्रण खान से दूर स्थिर अन्य किसी स्थान से (Remote control) किया जा सकता है।
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