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Speed control of DC Series Motor
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श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण कैसे करें? (how to Speed control of series motor in hindi)

नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor) कैसे किया जाता है? तथा कितने प्रकार से किया जाता है? तथा इससे जुड़े हुए विभिन्न तथ्यों के बारे में जानेंगे।

श्रेणी मोटर की गति निम्न विधियों द्वारा नियन्त्रित की जा सकती है –

  1. क्षेत्र – डाइवर्टर के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor by Field Divertor)
  2. आर्मेचर – डाइवर्टर के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor by Armature Divertor)
  3. टेण्ड – क्षेत्र नियन्त्रण के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor by Tend field control)

क्षेत्र – डाइवर्टर के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor by Field Divertor)

क्षेत्र डाइवर्टर एक प्रत्यावर्ती प्रतिरोध है जिसे क्षेत्र कुंडलन के समांतर में संयोजित किया जाता है। प्रतिरोध का मान परिवर्तित करने से क्षेत्र धारा अर्थात् फ्लक्स परिवर्तित होता है जिससे मोटर की गति परिवर्तित होती है।

श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण कैसे करें? (how to Speed control of series motor in hindi) | IMG 20211208 223536
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Speed control of series motor by Field divertor

आर्मेचर नियंत्रण अथवा रिओस्टेटिक नियन्त्रण के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (speed control of series motor by Armature Control or Rheostatic control) –

इस विधि द्वारा मोटर की गति केवल कम की जा सकती है। मोटर के श्रेणी क्रम में प्रतिरोध प्रयुक्त करने पर मोटर पर प्रयुक्त होने वाली वोल्टेज कम हो जाती है जिससे मोटर की गति कम हो जाती है।

श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण कैसे करें? (how to Speed control of series motor in hindi) | IMG 20211208 223556
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Speed control of series motor by Armature control

श्रेणी मोटर की श्रेणी – समांतर नियंत्रण के द्वारा श्रेणी मोटर का गति नियंत्रण (Series – parallel control of series motors)

यह विधि विद्युत संकर्षण (Electric traction) में गति नियंत्रण के लिए सामान्यतः प्रयोग की जाती है। सर्वप्रथम दो, तीन या चार श्रेणी मोटर श्रेणी में संयोजित की जाती है जिससे प्रत्येक मोटर को निर्धारित वोल्टेज से कम (दो मोटर की स्थिति में V/2) प्राप्त होती है।

Speed control of series motor
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Series – parallel control of series motor

मोटर के पार्श्व में कम वोल्टेज होने के कारण मोटर की गति भी कम होती है। गति का और सूक्ष्म नियंत्रण करने के लिए श्रेणी क्रम में एक परवर्ती प्रतिरोध संयोजित किया जाता है। संतुलन की स्थिति आने पर मोटर समांतर में संयोजित की जाती है इस समय प्रत्येक मोटर को सप्लाई वोल्टेज के तुल्य वोल्टेज प्राप्त होती है तथा मोटर अपनी सामान्य गति पर प्रचालित होती है।

दिष्ट धारा मोटर में हानियां (Losses in D.C. motor)

दिष्ट धारा मोटर में निम्न हानियां होती है –

  1. ताम्र हानियां
  2. आर्मेचर हानियां
  3. क्षेत्र ताम्र हानियां
  4. ब्रुश कान्टेक्ट प्रतिरोध के कारण हानियां

लौह हानियां (Iron losses)

हिस्टेरीसिस हानियां

भंवर धारा हानियां

यांत्रिक हानियां (Mechanical losses)

बियरिंग तथा कम्यूटेटर पर घर्षण हानियां
आर्मेचर परिभ्रमण के कारण वायु घर्षण हानियां

दिष्ट धारा मोटर में क्षेत्र ताम्र हानियां, लौह हानियां तथा यांत्रिक हानियां लगभग स्थिर होती है। इस प्रकार सम्पूर्ण हानियां, आर्मेचर ताम्र हानि तथा स्थिर हानियों के योग के तुल्य होती है

इन्हें भी पढ़ें – दिष्ट धारा जेनरेटर क्या है? (What is DC generator)

परमाणु क्या है? (What is Atom in hindi)

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