नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि हिस्टेरेसिस वक्र (Hysteresis Loop ) क्या है? तथा यह कैसे बनता है? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
हिस्टेरेसिस वक्र (Hysteresis Loop)
चुम्बकीय पदार्थ का उसकी चुंबकशीलता (permeability) के गुण के कारण चुम्बकन होता है। चुम्बकन बल को शून्य से अधिकतम (Hmax) करने तथा पुन: चुम्बकन की दिशा विपरीत कर, चुम्बकन बल न्यूनतम (-Hmax ) तथा पुनः शून्य करने पर, B-H वक्र एक बंद लूप होता है जिसे हिस्टेरेसिस वक्र (Hysteresis Loop) कहते हैं।
जब किसी चुम्बकीय पदार्थ को प्रत्यावर्ती चुम्बकीय क्षेत्र (alternating Magnetic feild) में रखा जाता है, तो उसमें दो प्रकार की हानियां होती है –
- हिस्टेरिसिस हानियां (Hysteresis Losses)
- भंवर धारा हानियां (Eddy Current Losses)
किसी specimen के alternating field में चुंबकन के एक चक्र (Magnetisation cycle) में B-H वक्र (Flux density-magnetisation curve) चित्र की भांति प्राप्त होता है।
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हिस्टेरेसिस वक्र से ज्ञात होता है कि प्रारम्भ में चुम्बकन की वृद्धि के साथ Magnetic induction ‘B’ तीव्रता से तथा बाद में धीरे-धीरे बढ़ता है तथा saturation value ‘Bmax‘ पर स्थिर हो जाता है। चुम्बकन बल की दिशा विपरीत करने पर ‘B’ धीरे-धीरे कम होता है तथा शून्य चुम्बकन (H = 0) पर एक अवशिष्ट चुम्बकत्व (residual magnetism) BR के तुल्य रहता है।
यह चुम्बकीय क्षेत्र को हटाने पर पदार्थ द्वारा retain किया गया चुम्बकन प्रदर्शित करता है तथा पदार्थ की retentivity की माप है। यदि चुम्बकन क्षेत्र (H) को वितरीत दिशा में निरन्तर बढ़ाया जाता है तब पदार्थ के domain, disalign होने का प्रयत्न करते हैं तथा H के एक विशेष मान HC पर पदार्थ का चुम्बकन शून्य हो जाता है, यह बल Coercive force कहलाता है।
चुम्बकीय क्षेत्र को पुनः विपरीत दिशा में बढ़ाए जाने पर पदार्थ का चुम्बकन विपरीत दिशा में होने लगता है तथा विपरीत दिशा में Saturation होने के पश्चात क्षेत्र को पहली दिशा में बढ़ाने पर Hysteresis Loop पूरा होता है।
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इस लूप का क्षेत्रफल (area) पदार्थ के चुम्बकन एवं विचुम्बकन के एक चक्र में ऊर्जा व्यय के समानुपाती होता है।
पदार्थ के आयतन ‘V’ में चुंबकीय आवृर्ति f पर संपूर्ण चुंबकीय हानि (hysteresis losses) निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित की जाती है –
Wh = loop area × f × V watt
= ηBmax 1.6 watt
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हिस्टेरेसिस हानियां (hysteresis Loop) निम्न पर निर्भर करती हैं –
- चुम्बकीय पदार्थ का आयतन (V)
- फ्लक्स घनत्व का उच्चतम मान (Bmax)
- चुम्बकन की आवृत्ति (Frequency Of Magnetisation)
- चुम्बकीय पदार्थ का ग्रेड (η)

चित्र में तीन हिस्टेरिसिस लूप किये गये हैं
- Loop (1) का क्षेत्रफल काफी कम होती है। इसका अर्थ है कि इस पदार्थ में हानियां कम होती है, अर्थात् आयरन, सिलिकान, म्यूमेटल इत्यादि।
- दूसरा लूप (2) wrought iron अथवा cast steel के लिए है। इन पदार्थों की permeability उच्च होती है। अक्ष B पर बड़ा intercept पदार्थ की उच्च retentivity प्रदर्शित करता है।
- लूप (3) हार्ड स्टील के लिए है लूप का अधिक क्षेत्रफल उच्च hysteresis losses प्रदर्शित करता है परन्तु उच्च Coercive force होने के कारण permanent magnets के लिए उपयुक्त है।
हिस्टेरेसिस वक्र किसे कहते हैं?
हिस्टेरेसिस वक्र चुम्बकीय बल (magnetic force) तथा फ्लक्स घनत्व (Flux density) के बीच बनता है। इसे B-H curve भी कहते हैं।
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