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दिष्टकारी (Rectifier) क्या है? | रेक्टिफायर का क्या काम है?

दिष्टकारी (Rectifier) क्या है? | रेक्टिफायर का क्या काम है?

नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि दिष्टकरी (रेक्टिफायर) क्या होते हैं? तथा ये कितने प्रकार के होते हैं? इससे सम्बन्धित कुछ प्रश्नों के बारे में जानेंगे।

दिष्टकारी (Rectifier) द्वारा प्रत्यावर्ती धारा (a.c.) को दिष्ट धारा (d.c) में परिवर्तित किया जाता है। या हम कह सकते हैं कि दिष्कारी एक परिवर्तक होता है जो प्रत्यावर्ती धारा (a.c.) को दिष्ट धारा (d.c) में परिवर्तित करता है।

दिष्टकारी (Rectifier)
दिष्टकारी (Rectifier)

दिष्टकारी का वर्गीकरण (Classification of rectifiers)

दिष्टकारी मुख्यत: निम्न दो प्रकार के होते हैं -

  1. पारद या मरकरी आर्क दिष्टकारी (Mercury arc rectifiers)
  2. धात्विक दिष्टकारी (Metal rectifiers)

पारद या मरकरी आर्क दिष्टकारी (Mercury arc rectifiers)

इन दिष्टकारी में मरकरी का प्रयोग किया जाता है इसलिए इन्हें मरकरी आर्क दिष्टकारी कहते हैं।

ये निम्न दो प्रकार के होते हैं -

  1. ग्लास बल्ब दिष्टकारी (Glass bulb rectifiers)
  2. इस्पात टैंक दिष्टकारी

ग्लास बल्ब दिष्टकारी (Glass bulb rectifiers)

इसमें एक कांच का शून्यीकृत (evacuated) बल्ब होता है जिसकी तली में मरकरी भरा रहता है तथा ऊपरी भाग में ग्रेफाइड का बना ऐनोड होता है। बल्ब में मरकरी कैथोड का कार्य करता है। कैथोड (Cathode) तथा ऐनोड (Anode) से प्लेटिनम के तार बल्ब से बाहर निकाले जाते हैं तथा जहां से ये सिरे बाहर निकालते हैं, उस स्थान को अच्छी तरह से सील कर दिया जाता है। ये दिष्टकारी स्व: चालित (Self starting) नहीं होते। इनको प्रारंभ करने के लिये मरकरी पूल में एक इग्नाइट लगाया जाता है। इग्नाइटर पर एक अल्प काल की धारा स्पंद (current pulse) प्रयोग की जाती है जिससे मरकरी तथा इग्नाइटर के स्पर्श बिंदु पर इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि यहां से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होने लगता है।

ग्लास बल्ब दिष्टकरी
ग्लास बल्ब दिष्टकरी

इस्पात टैंक दिष्टकारी

ये इलेक्ट्रॉन एनोड के उच्च विभव के प्रभाव से आकर्षित होते हैं तथा इनमें इतनी ऊर्जा आ जाती है कि वे मरकरी वाष्प से टकराकर उसका आयनीकरण कर देते हैं। इस प्रकार बल्ब (Bulb) में, धनात्मक आयन व इलेक्ट्रॉन दोनों के कारण धारा प्रवाहित होती है। धनात्मक आयन के कैथोड से टकराने पर कैथोड स्पाॅट (Cathode spot) उत्पन्न हो जाता है जिससे निरन्तर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते रहते हैं।

अधिक क्षमता के दिष्टकारियों में कांच के बल्ब के स्थान पर इस्पात के टैंक प्रयुक्त किये जाते हैं जिनमें 3000A तक धारा प्राप्त की जा सकती है।

बल्ब में आर्क उत्पन्न होने के पश्चात आर्क वोल्टता (Voltage) 15V से 25V तक होती है। मरकरी आर्क दिष्टकारी 1, 3, 6, 9, 12 फेस तक के बनाए जाते हैं यदि,

Ed0 = शून्य लोड पर आउटपुट d.c. वोल्टेज
Vdc = लोड या टर्मिनल वोल्टेज
VA = आर्क वोल्टपात हो तब

Vdc = Ed0 - VA

धात्विक दिष्टकारी (Metal rectifiers)

वह दिष्टकारी (rectifiers) जिनमें धातु प्रयुक्त की जाती है धात्विक दिष्टकारी (metal rectifiers) कहलाते हैं।

ये निम्न दो प्रकार के होते हैं -

  1. काॅपर ऑक्साइड दिष्टकारी (Copper oxide rectifiers)
  2. सेलेनियम दिष्टकारी (Selenium Rectifiers)

काॅपर ऑक्साइड दिष्टकारी (Copper oxide rectifiers) -

कॉपर ऑक्साइड दिष्टकारी में एक शुद्ध ताम्र प्लेट प्रयुक्त की जाती है जिस पर क्यूप्रस ऑक्साइड की पतली परत चढ़ा दी जाती है। इस दिष्टकारी का प्रतिरोध आक्साइड से ताम्र की ओर कम तथा विपरीत दिशा में अधिक होता है इस प्रकार यह ताम्र तथा कॉपर ऑक्साइड का संयोजन एक ही दिशा में धारा प्रवाहित कर दिष्टकारी की भांति कार्य करता है।

सेलेनियम दिष्टकारी (Selenium Rectifiers) -

सेलेनियम दिष्टकारी में एलुमिनियम या इस्पात की एक निकिल कोटेड प्लेट होती है जिस पर सेलेनियम की एक पतली परत चढ़ायी जाती है। सेलेनियम की सतह पर टिन तथा कैडमियम की मित्र धातु का स्प्रे किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त संयोजन एक P-N डायोड का कार्य करता है। इस्पात से सेलेनियम की ओर कम प्रतिरोध तथा विपरीत में बहुत अधिक प्रतिरोध होता है। इस रैक्टीफायर की दक्षता लगभग 70% होती है।

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