नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि अर्द्धचालक किसे कहते हैं? कितने प्रकार के होते हैं? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
अर्द्धचालक (Semiconductor)
अर्द्धचालक (Semiconductor) वे पदार्थ हैं जिनकी चालकता, चालक (Conductors) तथा कुचालक (Insulator) के मध्य होती है। सिलिकान तथा जर्मेनियम अत्यंत महत्वपूर्ण अर्द्धचालक है तथा दोनों संयोजकतायें 4 हैं अर्थात इनके बाह्य कक्ष में इलेक्ट्रॉन 4 हैं।
वैलेन्सी इलेक्ट्रॉन, रखते एक ऐसे ऊर्जा बैन्ड में रहते हैं। जिसमें कुछ स्थितियां खाली अथवा भरी हुई होती हैं। भरी हुई बैन्ड (filled band) तथा इससे उच्च खाली (unoccupied) बैन्ड forbidden energy gap ‘delta E’ के मध्य होता है।
सामान्य ताप पर बहुत कम इलेक्ट्रॉन कंडक्शन बैन्ड में रहते हैं। क्योंकि धारा गतिमान इलेक्ट्रॉन की संख्या के समानुपाती होती है। अतः धारा का मान कम होता है अर्थात् पदार्थ का प्रतिरोध उच्च होता है।
कोई इलेक्ट्रॉन इतनी ऊर्जा ग्रहण कर सकता है कि वह वैलेन्स बैन्ड को छोड़कर कंडक्शन बैन्ड में जा सके।
जब कोई ऊर्जा बैन्ड पूर्णतया भर जाती है तब इसके इलेक्ट्रॉन विद्युत चालक में भाग नहीं लेते क्योंकि कोई ऊर्जा स्तर खाली नहीं होता जिसमें वे किसी विद्युत क्षेत्र से ऊर्जा प्राप्त कर सके। अत: परम शून्य (absolute zero temperature) पर अर्द्धचालक की चालकता शून्य होती है।
अर्द्धचालक का वर्गीकरण (Classification of Semiconductor)
अर्द्धचालक दो प्रकार के होते हैं –
- इनट्रिन्जिक अर्द्धचालक (Intrinsic Semiconductor)
- एक्सट्रिन्जिक अर्द्धचालक (Extrinsic Semiconductor)
इनट्रिन्जिक अर्द्धचालक (Intrinsic Semiconductor)
वे अर्द्धचालक जो प्रकृति में शुद्ध रुप में पाती जाती हैं अर्थात् जिसमें किसी प्रकार की अशुद्धियां (impurity) नहीं मिलायी जाती हैं उसे इनट्रिन्जिक अर्द्धचालक (Intrinsic Semiconductor) कहते है। जेसै – जर्मेनियम, सिलिकॉन आदि।
एक्सट्रिन्जिक अर्द्धचालक (Extrinsic Semiconductor)
अर्द्धचालक की चालकता बढ़ाने के लिए उसमें अशुद्धि (impurity) मिलायी जाती है। यह क्रिया डोपिंग (Doping) कहलाती है। तथा डोपिंग के पश्चात प्राप्त पदार्थ को एक्सट्रिन्जिक अर्द्धचालक कहते हैं।
स्वीकार (acceptor) पदार्थ सिलिकॉन के वैलेन्सी बैन्ड से इलेक्ट्रॉन स्वीकार करता है। क्योंकि इसमें केवल तीन वैलेन्सी इलेक्ट्रॉन होते हैं। डोनर (donor) अशुद्धि के उदाहरण – बोरान, इन्डियम, गैलियम तथा एल्यूमिनियम। सामान्य ताप पर सिलिकॉन के वैलेंसी बैन्ड से इलेक्ट्रॉन, बोरान (अथवा इन्डियम आदि) के आरबिट में चले जाते हैं।
P-टाइप अर्धचालक (P-type Semiconductor)

चूंकि सामान्य ताप पर ऊर्जा गैप को पार करने के लिए समुचित ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों के होने की संभावना काफी अधिक होती हैं अतः हॉल्स भी काफी बड़ी संख्या में उपलब्ध होते हैं। जब पदार्थ पर कोई विद्युत क्षेत्र एप्लाई किया जाता है तब होल धारा काफी अधिक होती है तथा पदार्थ एक अच्छा चालक बन जाता है। यह P टाइप अर्द्धचालक कहलाता है। इसमें चालक मुख्यत: होल्स की गति के कारण होता है।
N-टाइप अर्धचालक (N-type Semiconductor)

जब 5 संयोजकता वाली कोई डोनर अशुद्धि सिलिकॉन में मिलायी जाती है तब वह सिलिकॉन के कन्डक्शन बैन्ड को अपने इलेक्ट्रॉन दे देती है। दाता पदार्थों के उदाहरण है- आर्सेनिक, फास्फोरस, एन्टीमनी तथा बिस्मथ।
जब इस पदार्थ पर कोई विद्युत क्षेत्र एप्लाई किया जाता है तब धारा मुख्यत: इलेक्ट्रॉनों के कारण होती है। यह N-टाइप अर्द्ध चालक कहलाता है।
अर्धचालकों के गुण (Properties of Semiconductor)
- अर्धचालकों की प्रतिरोधकता (resistivity) चालकों से अधिक परंतु कुचालकों से कम होती है।
- इनका प्रतिरोध ताप गुणांक नेगेटिव होता है।
- जब शुद्ध अर्द्धचालकों में कोई अशुद्धि (arsenic or gallium) मिलायी जाती है तब इनकी चालकता में काफी सुधार होता है।
अर्द्धचालक किसे कहते हैं?
अर्द्धचालक कितने प्रकार के होते हैं?
इनट्रिन्जिक अर्द्धचालक
एक्सट्रिन्जिक अर्द्धचालक
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