
प्रत्यावर्ती धारा समानान्तर परिपथ क्या होते हैं? (What is AC Parallel circuit)
नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि प्रत्यावर्ती धारा समानान्तर परिपथ (AC parallel circuit) क्या होते हैं? तथा विभिन्न परिपथों को हल करने की विभिन्न विधियों को जानेंगे। तथा प्रत्यावर्ती धारा समानांतर परिपथ (AC parallel circuit) से जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
प्रत्यावर्ती धारा समानांतर परिपथ (AC parallel circuit)
प्रत्यावर्ती धारा समानांतर परिपथ (AC parallel circuit) हल करने की निम्न विधियां होती हैं-
- प्रतिबाधा विधि (Importance Method)
- प्रवेशिता विधि (Admittance Method)
- काम्पलैक्स नोटेशन विधि (Complex Notation Method)
प्रतिबाधा विधि (Importance Method)
इस विधि में परिपथ की प्रत्येक शाखा की प्रतिबाधा एवं धारा ज्ञात करने के पश्चात वेक्टर डायग्राम द्वारा परिपथ के अन्य पेरामीटर ज्ञात किये जाते हैं।
उदाहरण: चित्र में प्रदर्शित परिपथ में दो शाखाएं एक R-L तथा दूसरी R-C शाखा समांतर में संयोजित है। दोनों संयोजनों को समान वोल्टेज V प्राप्त होती है।
अतः
शाखा R-L में,
I1 = V/Z1 = V/√R²1 +X²L
CosΦ1 = R1/Z1 (Lagging)
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तथा Φ1 = cos-1 R1/Z1
अतः R-L परिपथ में धारा I1 वोल्टेज वेक्टर से कलाकोण Φ1 पर पश्चगामी होगी।

R-C शाखा में,
इस संयोजन का प्रतिघात धारितीय होगा। अतः इसमें प्रवाहित धारा I1 वोल्टेज वेक्टर से अग्रगामी होगी
I2 = V/Z2 = V/√R2² + XC²
CosΦ2 = R²/Z2 (Leading)
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इसलिए, Φ2 = cos-1 R²/Z2
चित्र में वोल्टेज वेक्टर V को निर्देश वेक्टर (reference Vector) मानकर धारा I1, कोण Φ1 पश्चगामी पर तथा धारा I2 कोण Φ2 अग्रगामी पर खींची गई है।
यदि परिपथ में कुल धारा I तथा शक्ति गुणक Φ है चित्र 5.3(a) एवं 5.4(b) से
IX = I1 cosΦ1 + I2 cosΦ2 = IcosΦ
तथा IY = I1 sinΦ1 + I2 sinΦ2 = I sinΦ
अतः I = √(I cosΦ)² + (I sinΦ)²
परिपथ का कला कोण
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tanΦ = IY/IX
Φ = tan-1 IY/IX
प्रवेशिता विधि (Admittance Method)
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ की प्रवेश्यता (Y) परिपथ की प्रतिभावान (Z) के विलोम के तुल्य होती है।
Admittance Y = 1/Z (mho)
परिपथ की प्रवेश्यता Y एक वेक्टर राशि है। इसके दो घटक चालकता (Conductivity ‘G’ ) तथा अनुकार्यता (Susceptance ‘B’ ) होते हैं।
अनुकार्यता (Susceptance) भी दो प्रकार की होती है धारितीय तथा प्रेरकीय। धारितीय B धनात्मक तथा प्रेरकीय B ऋणात्मक होती है।
चित्र में Admittance त्रिभुज प्रर्दशित किया गया है।
Condutance ‘G’ = Y cosΦ = (1/Z)(R/Z) = R/Z²
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= R/(R² + X²)
Susceptance ‘B’ = Y sinΦ = (1/Z).(X/Z) = X/Z²
तथा X/R² + X²
Y = √G² + B²

परिपथ में धारा I = V/Z = VY
तथा शक्ति गुणन cosΦ = G/Y
परिपथ में व्यय शक्ति P = VI cosΦ
उदाहरणार्थ यदि किसी प्रत्यावर्ती धारा समांतर परिपथ में तीन शाखाएं हैं तब यह निम्न प्रकार हल किया जा सकता है।

I1 = V/Z1
I2 = V/ Z2
I3 = V/Z3
Vector form
I = I1 + I2
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परिपथ की सम्पूर्ण प्रतिबाधा Z
1/Z = 1/Z1 + 1/Z2 + 1/Z3
या Y = Y1 + Y2 + Y3
तथा चालकता G = G1 + G2 + G3
एवं अनुकार्यता B = B1 + B2 + B3
Y = √G² + B²
एवं I = VY
काॅम्पलेक्स नोटेशन विधियां (Complex Notation method)
कॉम्पलेक्स नोटेशन चार प्रकार के होते हैं –
- Symbolic form
- Trigonometrical form
- Exponential form
Symbolic form
इस विधि में प्रत्यावर्ती धारा परिपथ को हल करने के लिए j ऑपरेटर का प्रयोग किया जाता है। किसी भी वेक्टर पर j प्रचालन करने से वह 90° द्वारा घूर्णन करता है।
उदाहरणत: वेक्टर P को X-अक्ष की धनात्मक दिशा से j प्रचालन करने पर +Y-अक्ष पर इसका मान jP तथा -X अक्ष पर j²P, -Y अक्ष पर इसका मान j³P तथा पुनः +X पर j⁴P हो जाता है। अतः चित्र के अनुसार,

j²P = -P
j² = -1
j = √-1
j³ = j². j
= – j
j⁴ = j² × j²
= (-1) × (-1)
= +1
इसी प्रकार कोण ० पर कार्य करने वाले किसी वेक्टर के दो घटकों को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है।
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A = A1 + jA2
इसी प्रकार P = -P1 + jP2
उपरोक्त समीकरण एवं चित्र 5.38 तथा 5.39 के अनुसार वेक्टर A तथा P का आयाम निम्न प्रकार ज्ञात किया जा सकता है।
|A| = √ (A1)² + (A2)²
तथा tanΦ = A2/A1
एवं |P| = √ (-P1)² + (-P2)²
तथा tanΦ1 = – P2 /-P1
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिबाधा के दो घटकों को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है।
Z = R + jXL
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Z = (R)² + (XL)²
Z1 = R1 + jXC
Z = √ (R1)² + (XL)²

एक काम्प्लेक्स प्रतिबाधा Z = √ R² + (XL – XC)² को विधि द्वारा निम्न प्रकार किया जा सकता है।

चित्र में,
Z = R + jXL – jXC
= R + j(XL – XC)
परिपथ की धारा I = V/Z
= (V + j 0)/(R + jXL – jXC)
= I1 + jI2
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तथा |I| = √ (I1)² + (I2)²
यदि किसी परिपथ में वोल्टेज एवं धारा निन्न प्रकार है –
V = V1 + jV2
I = I1 + jI2
तब, आपरेटर द्वारा परिपथ की विभिन्न शक्तियां निम्न प्रकार ज्ञात की जा सकती हैं-
वास्तविक शक्ति (Real Power)-
PT = V1I1 + V2I2
प्रतिघाती शक्ति (Reactive Power)-
PR = (V1I2 – V2I1)
आवासी शक्ति
PA = √P²T + P²R
तथा शक्ति गुणक
CosΦ = PT/PA
समांतर परिपथ को j-ऑपरेटर विधि द्वारा हाल करना ( Solution of parallel circuit by j – Method)
I1 = V/Z1 = (V + j0)/(R1 + jX1 )

= A1 + jB1
I2 = (V + j0 )/ (R2 – jX2)
= A2 – jB2 (say)
So, |I| = √ (i1)² + (i2)²
परिपथ में शक्ति व्यय = V × धारा का conjugate
= (V + j0) (i1 + jI2)
= Vi1 + jVi2
त्रिकोणमितीय विधि (Trigonometrical Method )
चित्र में,
A1 = Acosθ
A2 = Acosθ
A1 तथा A2 को j विधि द्वारा निम्न प्रकार लिखा जा सकता है।
A1 = Acosθ
A2 = jAcosθ
A = Acosθ + jAsinθ
इसी प्रकार यदि वेक्टर A, X-अक्ष पर निर्दिष्ट हो तब,
A = A cosθ- jA sinθ
Exponential form
इस विधि में आयलर समीकरण का प्रयोग किया जाता है। इस समय कण के अनुसार,
ejθ = cosO + jsinθ
Aejθ = Acosθ + jAsinθ
Ae-jθ = Acosθ – jA sinθ
ध्रुवीय रूप (Polar form)
इस विधि में वेक्टर को उसके परिणाम (Magnitude) तथा कला कोण से प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरणतः θ एक ऐसा वेक्टर है जिसका परिणाम R है तथा यह X-अक्ष से + θ कोण पर निर्दिष्ट है।
चित्र से,
R < θ = Rcosθ+ jRsinθ
तथा P < θ1 = P cosθ1 – jP sinθ1
ध्रुवीय रूप में दो वेक्टर A < θ तथा B < θ1 के गणितीय प्रचालन निम्न प्रकार किये जा सकते हैं।
(A < θ) × (B < θ1) = A × B {< θ + (- θ1)}
A <θ + B < (-θ1) = (A cosθ + B cosθ1) + j(A sinθ – B sinθ1)
A < θ / B < (-θ1) = (A/B) < θ– (- θ1)
इन्हें भी पढ़ें –
- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ क्या होते हैं? (What is AC Circuit)
- तुल्यकाली मोटरों पर लोड का क्या प्रभाव होता है? (What is the effect of load on synchronous motor in hindi)
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