नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि कैथोड रे ऑसिलोस्कोप (cathode ray oscilloscope) क्या है? तथा यह क्या काम करता है? तथा किस प्रकार काम करती है? कैथोड रे ट्यूब क्या है तथा इसके बीम का विक्षेपण का सूत्र क्या है तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
कैथोड रे ऑसिलोस्कोप (cathode ray oscilloscope)
कैथोड किरण ऑसिलोस्कोप (cathode ray oscilloscope) समय के साथ परिवर्तन होने वाले इलेक्ट्रिकल सिगनलों (time varying electrical signals) का विजुअल डिस्प्ले (visual display) उपलब्ध कराता है। CRO वास्तव में एक X-Y प्लाॅटर है जिसमें कैथोड किरणें (cathode rays) एक पेंसिल का कार्य करती हैं तथा CRO के स्क्रीन पर किसी फाॅसफर (Flourescent) पदार्थ की कोटिंग, शीट का कार्य करती हैं जिस पर प्लाॅट अथवा ग्राफ बनते हैं। कैथोड किरणें जब की फाॅसफर स्क्रीन से टकराती हैं तब स्क्रीन पर एक चमकदार बिन्दु (bright spot) उत्पन्न होता है।

एक समान्य CRO में एक होरिजोन्टल इनपुट प्रयुक्त की जाती है जो एक रैम्प वोल्टेज (ramp voltage) होती है। इसे टाइम बेस अथवा आरी-दन्त (saw tooth) वोल्टेज भी कहते हैं। यह वोल्टेज ब्राइट स्पाॅट को स्क्रीन पर होरिजोन्टल दिशा में चलाती है। CRO को एक वर्टीकल इनपुट (Vertical input) वोल्टेज दी जाती है। यह वह वोल्टेज होती है जिसको हमें स्क्रीन पर देखना है अथवा जिसका विश्लेषण करना होता है।
कैथोड रे ऑसिलोस्कोप (cathode ray oscilloscope) किसे कहते है?
ऑसिलोस्कोप पर अत्यन्त निम्न आवृत्ति (DC से 20 Hz तक) से अत्यंत उच्च आवृत्तियों (1Hz) तक के सिगनलों की तरंगों के आकार प्रत्यक्ष रुप से देखे जा सकते हैं। CRO में समस्त ग्राफ (पैटर्न) एक ट्यूब के स्क्रीन पर उत्पन्न होते हैं जिसे कैथोड रे ट्यूब कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, “कैथोड रे” ओसिलोस्कोप एक उपकरण है जिसका उपयोग आम तौर पर विद्युत सर्किट के विभिन्न तरंगों को प्रदर्शित करने, मापने और विश्लेषण करने के लिए प्रयोगशाला में किया जाता है। “CRO” समय के साथ परिवर्तित होने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नलों का visual display उपलब्ध करता है
कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) –
चित्र में कैथोड रे ट्यूब (CRT) की संरचना दिखायी गयी है –

CRT के तीन मुख्य भाग होते हैं –
- इलेक्ट्राॅन गन (Electron gun)
- विक्षेपण प्रणाली (Deflecting system)
- प्रदीप्ति स्क्रीन (Fluorescent screen)
CRT की संक्षिप्त कार्य प्रणाली निम्न प्रकार है –
इलेक्ट्राॅन गन, इलेक्ट्रॉन की एक शार्प तथा फोकस की हुयी बीम उत्पन्न करती है। यह बीम एक्सलरेटिंग एनोड तथा फोकसिंग एनोड द्वारा फोकस तथा उच्च वेग एवं ऊर्जा से फ्लोरीसैन्ट स्क्रीन से टकराती है जब स्क्रीन पर प्रकाशमान बिन्दु उत्पन्न होता है।
इलेक्ट्रॉन गन से निकलने के पश्चात, इलेक्ट्रॉन बीम, इलेक्ट्रोस्टेटिक डिफ्लैक्शन प्लेटों के दो जोड़ों (pairs) के मध्य से गुजरती है।

इन प्लेटों पर वोल्टेज एप्लाई करने पर बीम का डिफ्लैक्शन होता है। एक पेयर पर एप्लाई की गयी वोल्टेज, बीम को ऊपर-नीचे (up and dwon) तथा दूसरे पेयर पर एप्लाई की गयी वोल्टेज बीम को क्षेतिज दिशा में डिफ्लैक्ट करती है। बीम की यह दोनों गतियाॅ (horizontal and vertical motions) एक-दूसरे पर निर्भर करती है अतः बीम को स्क्रीन के किसी भी भाग में स्थिर किया जा सकता है।
कैथोड रे ट्यूब के समस्त इलेक्ट्रोड एक शून्यीकरण ग्लास एनवेलप (evacuated glass envelope) में बन्द कर सील कर दिये जातें हैं। इलेक्ट्रोडों से कनैक्शन ट्यूब के बाहर लगी पिनों से रहते हैं। CRT को एक उपयुक्त बेस में लगा कर परिपथ में कनैक्ट किया जाता है।
बीम का विक्षेप (Deflection of Beam) –
CRT में बीम डिफ्लैक्शन निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –
D = LldVd/2d Va
- यहां, D = फाॅसफर स्क्रीन पर डिफ्लैक्शन
- L = डिफ्लैक्शन प्लेटों के सैन्टर से स्क्रीन की दूरी
- ld = डिफ्लैक्शन प्लेटों की प्रभावी लम्बाई
- d = डिफ्लैक्शन प्लेटों के मध्य दूरी
- Vd = डिफ्लैक्शन वोल्टेज
- Va = एक्सलरेटिंग वोल्टेज