
चुम्बकन या संतृप्त वक्र क्या है?(What is Magnetization or Saturation Curve)
नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि चुम्बकन या संतृप्त वक्र (Magnetization or Saturation Curve) किसे कहते हैं यह क्या होता है तथा इस वक्र से जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
चुम्बकन या संतृप्त वक्र (Magnetization or Saturation Curve)
लौह, स्टील तथा उनके मित्र धातुओं के चुंबकीय गुण (Magnetic Properties) सामान्यतः चुम्बकन वक्रों द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। चुम्बकन वक्र फ्लक्स घनत्व B तथा क्षेत्र सामर्थ्य (Field strength) H के बीच, सम्बन्ध प्रदर्शित करता है क्षेत्र सामर्थ्य H को एम्पियर-वर्तन/मीटर में तथा फ्लक्स घनत्व B को बेवर/मीटर ² में व्यक्त किया जाता है।
कास्ट स्टील के लिए एक चुम्बकीय वक्र चित्र में दिखाया गया है। O से A थोड़ा ऊपर की ओर अवतलीय (Concave) है। A से B तक वक्र लगभग सीधी रेखा है। बिंदु B के बाद, H में वृद्धि के लिए फ्लक्स घनत्व में वृद्धि बहुत धीरे-धीरे होती है और अंत में लौह संतृप्त होता है

जेनरेटर में जनित विद्युत वाहक बल,
E = (ΦZN/60).P/A volt
= (ZP/60) ΦN volt
प्रत्येक मशीन के लिए ZP/60 एक स्थिर राशि (Constant Quantity) होती है। इसे K द्वारा प्रदर्शित करने पर,
E = KΦN
इन्हें भी पढ़ें:- सम्पनर परीक्षण ( Sumpner Test ) क्या है?
उपरोक्त समीकरण से स्पष्ट है कि उत्पन्न विद्युत वाहक बल E फ्लक्स प्रति ध्रुव तथा गति N के सीधे समानुपाती होता है। यदि जेनरेटर की गति स्थिर रखी जाए तो जनित विद्युत वाहक बल, फ्लक्स प्रति ध्रुव के सीधे समानुपाती होता है। फ्लक्स, क्षेत्र एम्पियर-वर्तन (Ampere-turn) द्वारा उत्पन्न होता है और क्योंकि क्षेत्र वर्तन स्थिर रहते हैं, इसलिए फ्लक्स, क्षेत्र धारा पर निर्भर करता है। चुंबकीय परिपथ की परिवर्तनीय चुम्बकनशीलता (permeeability) के कारण, फ्लक्स, क्षेत्र धारा के समानुपाती होता है।

चित्र में क्षेत्र एम्पियर वर्तन (NI) और फ्लक्स प्रति ध्रुव के बीच संबंध अर्थात संतृप्ति वक्र (Saturation Curve) दर्शाया गया है। फ्लक्स शून्य से प्रारंभ नहीं होता बल्कि चुंबकीय परिपथ में अवशिष्ट चुम्बकत्व (Residual magnetism) के कारण कुछ फ्लक्स प्रारंभ में भी होता है। क्षेत्र एम्पियर वर्तन में निम्न मानो के लिए संतृप्त वक्र, वास्तविक रुप से, एक सीधी रेखा होती है क्योंकि चुम्बकीय परिपथ का अधिकतर प्रतिष्टम्भ (reluctant) वायु गैप के कारण होता है। बिंदु q पर लौह को संतृप्त होना प्रारम्भ करता है तथा वक्र फ्लैट (flat) होने लगता है।
यह वक्र शून्य लोड (no load) पर चुम्बकन अभिलक्षण या संतृप्त वक्र (Magnetization or Saturation Curve) कहलाता है। इसे खुला परिपथ अभिलक्षण (open circuit characteristics) भी कहते हैं।
इन्हें भी पढ़ें –
- चुंबकीय क्षेत्र क्या है? (What is Magnetic field)
- विद्युत विभव क्या है?(what is electric potential)
- प्रत्यावर्ती धारा एवं वोल्टेज समीकरण क्या होती है? (What is equation of alternating current and voltage)
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