किसी भी परिपथ में जिस उपकरण द्वारा शक्ति गुणांक का मापन किया जाता है उस उपकरण को शक्ति गुणक मीटर (Power factor Meter) कहा जाता है।
पावर फैक्टर मीटर पारेषण प्रणाली (Transmission system) में किस प्रकार का लोड लगा है, का निर्धारण करता है। पारेषण लाइन (Transmission line) के शक्ति गुणक (Power factor) को पावर के साथ वोल्टता (Voltage) और धारा (current) के प्रॉडक्ट को बांटकर मापा जाता है ।

किसी परिपथ के शक्ति गुणक (Power factor) को परिपथ की वोल्टता तथा धारा के मध्य कोण कोज्या (Cosine) से परिभाषित किया जाता है। परिपथ की वास्तविक शक्ति तथा आभासी शक्ति का अनुपात शक्ति गुणक के बराबर होता है अर्थात,
CosΦ = W/VI
शक्ति गुणक का तात्क्षणिक मान ज्ञात करने के लिए निम्न यन्त्र प्रयोग में लाये जाते हैं –
- डायनेमोमीटर टाइप शक्ति गुणक मीटर
- चल लौह प्रारूपी शक्ति गुणक मीटर
डायनेमोमीटर टाइप शक्ति गुणक मीटर (Dynamometer Type Power factor Meter)
इस प्रकार के शक्ति गुणक मीटर एक सूचक उपयन्त्र होते हैं जो डायनेमोमीटर के सिद्धांत पर कार्य करता है। यद्यपि इसका आर्क छोटा होता है तथापि यह चल लौह टाइप शक्ति गुणक मापी की तुलना में अधिक शुद्ध प्रेक्षण देता है।
इस पावर फैक्टर मीटर में दो स्थिर कुंडलियां FF में धारा प्रवाहित होती है कुण्डलियों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र लोड धारा के समानुपाती होता है। शक्ति गुणक मापी को उस परिपथ से जोड़ा जाता है जिसका शक्ति गुणक नापना है। स्थिर कुण्डलियों के मध्य चुम्बकीय क्षेत्र में दो गतिमान कुंडलियां A और B होती हैं। यह परस्पर 90° पर स्थित होती हैं। इन दोनों कुण्डलियों एवं संकेतक की गति एक साथ होती है।

अग्रगामी या पश्चगामी शक्ति गुणक सीधा स्केल पर पढ़ा जा सकता है। A और B कुंडलियां एक समान होती है तथा इनमें समान एवं परस्पर 90° पर विस्थापित धाराएं प्रवाहित होती हैं। इन दोनों कुण्डलियों की श्रेणी में प्रतिरोध R तथा प्रेरकत्व L का मान क्रमशः इस प्रकार समायोजिक किया जाता है कि किसी एक आवृत्ति (50Hz) पर इसमें से प्रवाहित धारा का मान समान हो।
प्रेरकत्व (Inductor) के स्थान पर संधारित्र का प्रयोग किया जा सकता है।
यदि परिपथ की धारा, वोल्टेज की कला में हैं। तब कुण्डली A की धारा FF कुण्डलियों की धारा की कला में होगी जबकि B कुण्डली की धारा वोल्टेज से 90° पश्चगामी होने के कारण FF कुण्डली की धारा से भी 90° पश्चगामी होगी। इस प्रकार कुंडली A पर बलाघूर्ण कार्य करेगा जो इसे FF कुण्डली को अक्ष के लम्बवत् घुमायेगा, जबकि B कुण्डली पर बलाघुर्ण शून्य होगा। इस प्रकार गतिमान प्रणाली चित्र के अनुसार सैट हो जाएगी अर्थात संकेतक इकाई शक्ति गुणक इंगित करेगा।
यदि परिपथ की शक्ति गुणक शून्य है तो B कुण्डली की धारा FF कुण्डलियों की धारा की कला में होगी जबकि A कुण्डली की धारा 90° पर कला विस्थापित होगी। अतः B कुण्डली में उत्पन्न आघूर्ण के कारण संकेतक FF कुण्डली के अक्ष के लम्बवत् सैट होगा। अर्थात् पश्चगामी शक्ति गुणक दर्शायेगा। इकाई तथा शून्य के मध्य शक्ति गुणकों(0.9, 0.75, 0.6 आदि) के लिए गतिमान प्रणाली सम्बन्धित स्थिति पर सैट होगी। अर्थात् स्थिर कुण्डलियों के अक्ष से (90 – Φ) पर। अतः संकेतक स्केल पर सम्बन्धित शक्ति गुणक को दर्शायेगा।
त्रिकलीय भार के शक्ति गुणक मापने हेतु कुण्डलियां A तथा B परस्पर 120° पर लगाई जाती हैं तथा इनमें बाह्य प्रेरकत्व या संधारित्र संयोजित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। त्रिकलीय शक्ति माफी गुणक के पाठ्यांक केवल संतुलित भार पर ही शुद्ध होते हैं।
चल लौह प्रारूपी शक्ति गुणक मीटर (Movable Iron Typical Power factor Meter)
इस प्रकार का शक्ति गुणक मीटर एक सूचक की तरह है जो चल लोह मीटर के सिद्धांत पर कार्य करता है। चल लौह प्रारूपी शक्ति गुणक मापी मीटर दो प्रकार के होते हैं –
- प्रत्यावर्ती क्षेत्र प्रारूपी (Alternating field type)
- परिभ्रमण क्षेत्र प्रारूपी (Rotating field type)
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