नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि अनुनाद ( Resonance) क्या है तथा अनुनाद (Resonance) कितने प्रकार के होते हैं तथा परिपथ का उत्कृष्टता गुणांक क्या होता है तथा धारा किसे कहते हैं तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
अनुनाद का वर्गीकरण (Classification of Resonance)
अनुनाद दो प्रकार के होते हैं –
- श्रेणी परिपथ में अनुनाद
- समांतर परिपथ में अनुनाद
श्रेणी परिपथ (Resonance in Series circuit)
श्रेणी RLC परिपथ में अनुनाद की स्थिति में निम्न विशेषताएं होती हैं –
परिपथ में प्रेरकीय प्रतिघात (XL) एवं धारितीय प्रतिघात (XC) समान एवं विपरीत दिशा में होते हैं।
XL = XC
परिपथ का प्रतिघात X = XL – XC = 0
परिपथ की प्रतिबाधा
Z = √ R² + (XL – Xc)²
= R

परिपथ में धारा I0 = V/R

परिपथ की अनुनाद आवृति
f0 = 1/2π√LC
शक्ति गुणक
cosΦ = 1
परिपथ में व्यय शक्ति
P = VI = I²R = V²/R
VL = VC, So IXL = IXC
श्रेणी अनुनाद में अनुनाद आवर्ती (f) पर VL अथवा VC प्रयुक्त वोल्टेज V से कई गुना अधिक हो सकते हैं अतः श्रैणी अनुनाद, वोल्टेज अनुनाद (voltage Resonance) भी कहलाता है। यह परिपथ (Acceptor Circuit) कहलाता है।
परिपथ का उत्कृष्टता गुणांक Q ( Quality Factor )
श्रेणी अनुनाद परिपथ में परिपथ के वोल्टेज आवर्धन का मान (Voltage Amplification) Q गुणांक के तुल्य होता है।
Q0 = ω0 L/R
= (2πL/R)(1/2π√LC)
= L/R√C
समांतर परिपथ (Resonance in Parallel circuit)
चित्र में प्रदर्शित समांतर परिपथ का वेक्टर डायग्राम चित्र में प्रदर्शित किया गया है।

Z1 = √ R²1 + X²L
तथा Z2 = √ R²2 + X²C
समांतर अनुनाद परिपथ में केवल क्रियाशील धारा (Active current) प्रवाहित होती है तथा प्रतिकारी धारा (Reactive current) शून्य होती है। अर्थात्
IL sinΦL = IC sinΦC
तथा पर परिपथ व्यवहार प्रतिरोधी होता है। परिपथ का शक्ति गुणक इकाई होता है।
परिपथ में परिणामी धारा का मान बहुत कम होता है तथा यह धारा प्रयुक्त वोल्टता कला में होती है।
समांतर परिपथ यदि शुद्ध प्रेरकीय प्रतिघात (XL) एवं शुद्ध धारितीय प्रतिघात (XC) संयोजित किया जाये तब परिपथ में परिणाम विद्युत धारा का मान शून्य होता है तथा परिपथ प्रतिबाधा अनंत होती है। अतः समांतर अनुनाद परिपथ ‘Rejected Circuit’ कहलाते हैं।
परिपथ की अनुनाद आवृत्ति निम्न सूत्र जाती है –
Fo = 1/2π√1/LC – (R/L)²
यदि परिपथ का प्रतिरोध R ≈ 0 हो तब,
- fo = 1/2π√1/LC
- अनुनाद पर धारा Io = V/L/CR, यहां R प्रेरकीय शाखा का प्रतिरोध है।
- अनुनाद का प्रतिबाधा Z = L/CR
- समांतर अनुनाद पर परिपथ की प्रतिबाधा (Dynamic impedance)
- (iv) परिपथ का Q का गुणक
Qo = ω0L/R
= 1/R√L/C
Transient current –
R-L परिपथ ( R-L Circuit) –

R-L परिपथ में स्विच S ‘on’ करने पर धारा में वृद्धि निम्न समीकरण के अनुसार होती है –
i = V/R {1 – e -(R/L)t}
तथा धारा ह्रास निम्न समीकरण के अनुसार होता है।
i = (V/R)e-(R/L)t
यहां E/R परिपथ की अधिकतम धारा Im है।
परिपथ का समय स्थिरांक
T = L/R

R-C परिपथ ( R-C Circuit) –
समय t पर कैपेसिटर C पर वोल्टेज
v = E (1 – e-t/CR)
समय t पर कैपेसिटर पर आवेश
q = VC(1 – e-t/T)
यहां T = समय स्थिरांक = CR

स्विच S को स्थिति ‘2’ पर लाने से कैपेसिटर का अनावेशन होगा।
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