नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि विद्युत मोटर में विरोधी विद्युत वाहक बल (back electromotive force) क्या होता है? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।

विरोधी विद्युत वाहक बल (Back electromotive force)
जब दिष्ट धारा मोटर को विद्युत सप्लाई से संयोजित किया जाता है तब बलाघूर्ण के कारण आर्मेचर चुंबकीय क्षेत्र में घूमने लगता है चित्र में एक मोटर का आर्मेचर वामावर्त दिशा में घूमता हुआ दर्शाया गया हैं उतरी ध्रुव के प्रभाव क्षेत्र में एक आर्मेचर चालक में विद्युत धारा की दिशा ऊपर से नीचे पेज के तल की ओर है। नियमानुसार चालाक और आर्मेचर वामावर्त दिशा में घूमने लगेगा। चुम्बकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक चुंबकीय बाल रेखाओं को काटते हैं। परिणामस्वरुप फैराडे के ‘ विद्युत चुम्बकीय प्रेरण ‘ नियम के अनुसार चालक में विद्युत वाहक बल (Back electromotive force) प्रेरित होता है।
इस प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा फ्लेमिंग के दाये हाथ के नियम से ज्ञात जा सकती है। यदि दिशा प्रयुक्त वोल्टता के विपरीत होती है।
इस प्रेरित विद्युत वाहक बल को विरोधी विद्युत वाहक बल (Back or Counter E.M.F.) कहते हैं। आर्मेचर चालको में धारा प्रवाहित करने के लिए सप्लाई वोल्टता को इस विरोधी विद्युत वाहक बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। सप्लाई वोल्टता तथा विरोधी विद्युत वाहक बल के अंतर को प्रणामी वोल्टता कहते हैं। विरोधी विद्युत वाहक बल कभी भी प्रयुक्त वोल्टेज से अधिक नहीं होता है प्रणामी विद्युत वाहक बल के कारण आर्मेचर चालकों में धारा प्रवाहित होती है।
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आर्मेचर परिपथ में परिणामी वोल्टता = (V – Eb )
जहां, V = सप्लाई वोल्टता
तथा Eb = प्रेरित विद्युत वाहक बल
यदि आर्मेचर परिपथ का प्रतिरोध Ra हो तो चालकों में प्रवाहित धारा
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Ia = (V – Eb)/Ra
Eb = V – IaRa
मोटर में विरोधी विद्युत वाहक बल बल टर्मिनल वोल्टता V तथा आर्मेचर प्रतिरोध के वोल्टतापात IaRa का अंतर होता है जबकि जनित्र में प्रेरित विद्युत वाहक बल टर्मिनल वोल्टता V तथा वोल्टतापात IaRa का योग होता है।
Eb का मान निम्नलिखित सूत्र से भी ज्ञात किया जा सकता है –
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Eb = ΦZNP/(60A)
जहां, Φ = फ्लक्स प्रति ध्रुव
Z = आर्मेचर चालको की संख्या
N = प्रति मिनट आर्मेचर के चक्करों की संख्या
A = आर्मेचर में समानांतर परिपथों की संख्याा
प्रारम्भ में जब मोटर स्थिर अवस्था में होती है तब Eb = 0 एवं मोटर में प्रयुक्त वोल्टेज IaRa के बराबर होती है। Ra का मान कम होने पर Ia बहुत अधिक हो जाती है जिसके कारण मोटर का आर्मेचर जल सकता है अतः मोटर को प्रारम्भ करते समय आर्मेचर के श्रेणी में प्रतिरोध लगाया जा सकता है।
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